रोहित वेमुला को श्रधांजली और उसके के अंतिम पत्र के जवाब में-------
तुमसे असहमत हूँ
मेरे दोस्त !
फिर भी तेरे साथ हूँ
तुम्हारी इस अंतिम यात्रा में
गुनाहगार कैसे तुमने
खुद को मान लिया
यदि गुनाहगार मानना ही था
तो हमारी पीढी को मान लेते
जिसने तुम्हे इस दुनिया में लाने से पहले
नहीं गढ़ सका ऐसी दुनिया
जहाँ सवेन्दनाओं और प्यार से भरा
तुम्हारा मन सकून पा सके.
तुम तो अभी युवा थे
जीवन के सौंदर्य और संभावनाओं से भरपूर
हम सभी हादसों की दुनिया में ही जीते हैं
हादसों को इतना बुरा क्यों मान लिया ?
उसी से तो ताकत पाता हूँ
जीने का, लरने का, जूझने का
हादसे हमारे जीवन का हिस्सा हैं मेरे दोस्त !
जैसे हादसों के बीच जन्मे तुम
तब भी मेरे जीवन का हिस्सा थे
और आज भी हादसे के बाद
तुम मेरे जीवन का हिस्सा हो.
यदि हालात से इतने ही दुखी थे तो
अपनी यात्रा की दिशा बदल लेते
उस दिशा में चल परते
जहाँ तुम्हारे ही शब्दों में
हादसों के संयोग से जन्मे
करोरों लोग
हर पल हादसों की संभावनाओं के बीच
इस सितारों से भरी दुनिया के नीचे
एक और दुनिया गढ़ने में लगे रहते हैं .
यकीन मानो मेरे दोस्त
सितारों की दुनिया की ऊँचाई से
कई गुना विस्तृत है उस दुनिया का कैनवास
तुम्हें तो वहां होना था साथी
उनके वीरान जीवन में
भावनाओं , सवेंदनाओं और जदोजहद का
रंग भरने के लिए.
------नरेंद्र
तुमसे असहमत हूँ
मेरे दोस्त !
फिर भी तेरे साथ हूँ
तुम्हारी इस अंतिम यात्रा में
गुनाहगार कैसे तुमने
खुद को मान लिया
यदि गुनाहगार मानना ही था
तो हमारी पीढी को मान लेते
जिसने तुम्हे इस दुनिया में लाने से पहले
नहीं गढ़ सका ऐसी दुनिया
जहाँ सवेन्दनाओं और प्यार से भरा
तुम्हारा मन सकून पा सके.
तुम तो अभी युवा थे
जीवन के सौंदर्य और संभावनाओं से भरपूर
हम सभी हादसों की दुनिया में ही जीते हैं
हादसों को इतना बुरा क्यों मान लिया ?
उसी से तो ताकत पाता हूँ
जीने का, लरने का, जूझने का
हादसे हमारे जीवन का हिस्सा हैं मेरे दोस्त !
जैसे हादसों के बीच जन्मे तुम
तब भी मेरे जीवन का हिस्सा थे
और आज भी हादसे के बाद
तुम मेरे जीवन का हिस्सा हो.
यदि हालात से इतने ही दुखी थे तो
अपनी यात्रा की दिशा बदल लेते
उस दिशा में चल परते
जहाँ तुम्हारे ही शब्दों में
हादसों के संयोग से जन्मे
करोरों लोग
हर पल हादसों की संभावनाओं के बीच
इस सितारों से भरी दुनिया के नीचे
एक और दुनिया गढ़ने में लगे रहते हैं .
यकीन मानो मेरे दोस्त
सितारों की दुनिया की ऊँचाई से
कई गुना विस्तृत है उस दुनिया का कैनवास
तुम्हें तो वहां होना था साथी
उनके वीरान जीवन में
भावनाओं , सवेंदनाओं और जदोजहद का
रंग भरने के लिए.
------नरेंद्र
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