Sunday, January 22, 2017

कवि की लेखनी


जिस कवि की लेखनी में,
मेहनत का रंग न हो,
जो अन्याय के ख़िलाफ़,
अपनी आवाज़ बुलंद न करे,
ऐसे कवि को त्याग दो,
उसकी कविताओं को नकार दो।

जिस कवि की नज़रों में,
विज्ञान का प्रकाश न हो,
जो अंधविश्वास के तिमिर में,
सच का मार्ग न दिखाए,
ऐसे कवि को त्याग दो,
उसकी कविताओं को नकार दो।

जिस कवि का कंठ,
सत्ता के समक्ष मौन हो,
जो शासकों के अत्याचारों के ख़िलाफ़,
एक शब्द भी न बोले,
ऐसे कवि को त्याग दो,
उसकी कविताओं को नकार दो।

कलम उठाओ, कवि,
और लिखो ऐसे गीत,
जो मज़दूरों के हाथों को,
और वैज्ञानिकों के दिमागों को,
नई दिशा दें।

कलम उठाओ, कवि,
और लिखो ऐसे बोल,
जो अंधविश्वास की बेड़ियों को तोड़ें,
और सच का सूरज उगाएँ।

कलम उठाओ, कवि,
और लिखो ऐसे शब्द,
जो सत्ता के अहंकार को चूर करें,
और जनता की आवाज़ बनें।

कवि वो नहीं,
जो सिर्फ़ शब्दों का जाल बुने,
कवि वो है,
जो दिलों को छुए,
और सोच को बदले।

कवि वो नहीं,
जो सिर्फ़ वाहवाही लूटे,
कवि वो है,
जो सच का साथ दे,
और झूठ का पर्दाफाश करे।

कवि वो नहीं,
जो डर से चुप रहे,
कवि वो है,
जो अन्याय के ख़िलाफ़,
अपनी आवाज़ उठाए।
 
एम के आज़ाद

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