Sunday, January 22, 2017

जुनून का इंक़लाब


सपनों का पीछा करना,
उन्हें मुठ्ठी में भींचकर रखना,
न हारना, न झुकना,
यह जुनून माँगता है!

जब रोटी से बड़ी लड़ाई हो,
जब इन्साफ़ की राह दिखाई हो,
जब मज़दूर के हाथ खाली हों,
फिर भी इंक़लाब की तैयारी हो,
तो हर क़दम, हर साँस,
जुनून माँगता है!

अपनी ही कमजोरियों से लड़ना,
टूटकर भी दुबारा खड़ा होना,
भीड़ में अकेले सच कहना,
सत्ता से आँखें मिलाना,
सत्य की लौ जलाए रखना,
यह जुनून माँगता है!

जब दुनिया कहे— “समझौता कर लो”,
जब ताक़त कहे— “चुप रहो”,
तब ग़ुलामी की ज़ंजीरें तोड़कर,
अपना हक़ छीनने का हौसला रखना,
जुनून माँगता है!

झुर्रियों से भरा चेहरा सही,
पर इरादे फिर भी जवान हों,
साँसों में आख़िरी आग तक,
हर अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ हो,
हर मज़दूर के लिए बराबरी की चाह हो,
तो यह जुनून नहीं, इंक़लाब है!

एम के आज़ाद

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