Sunday, January 22, 2017

रामप्रसाद बिस्मिल

महान देशभक्‍त क्रांतिकारी, काकोरी केस के शहीद रामप्रसाद बिस्मिल (11 जून) के जन्‍मदिवस पर
सरफरोशी की तमन्‍ना
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है।
ऐ शहीदे-मुल्‍को-मिल्‍ल्‍त मैं तेरे ऊपर निसार
अब तेरे हिम्‍मत की चर्चा गैर की महफिल में है।
रहबरे राहे मुहब्‍बत रह न जाना राह में
लज्‍जते सहराने वर्दी दूरिए मंजिल में है।
वक्‍त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां
हम अभी से क्‍या बताएं क्‍या हमारे दिल में है।
आज फिर मकतल में कातिल कह रहा है बार बार
क्‍या तमन्‍ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है।
खींचकर लाई है हमको कत्‍ल होने की उम्‍मीद
आशिकों का आज जमघट कूचा-ए-कातिल में है।
अब न अगले वलवले हैं और न अरमानों की भीड़
एक मिट जाने की हसरत अब दिले-बिस्मिल में है।

No comments: