गोरख पाण्डेय की बेहतरीन कविता ! (उसको फांसी दे दो )
उसको फांसी दे दो
वह कहता है उसको रोटी-कपड़ा चाहिए
बस इतना ही नहीं, उसे न्याय भी चाहिए
इस पर से उसको सचमुच आजादी चाहिए
उसको फांसी दे दो।
वह कहता है उसको रोटी-कपड़ा चाहिए
बस इतना ही नहीं, उसे न्याय भी चाहिए
इस पर से उसको सचमुच आजादी चाहिए
उसको फांसी दे दो।
वह कहता है उसे हमेशा काम चाहिए
सिर्फ काम ही नहीं, काम का फल भी चाहिए
काम और फल पर बेरोक दखल भी चाहिए
उसको फांसी दे दो।
सिर्फ काम ही नहीं, काम का फल भी चाहिए
काम और फल पर बेरोक दखल भी चाहिए
उसको फांसी दे दो।
वह कहता है कोरा भाषण नहीं चाहिए
झूठे वादे हिंसक शासन नहीं चाहिए
भूखे-नंगे लोगों की जलती छाती पर
नकली जनतंत्री सिंहासन नहीं चाहिए
उसको फांसी दे दो।
झूठे वादे हिंसक शासन नहीं चाहिए
भूखे-नंगे लोगों की जलती छाती पर
नकली जनतंत्री सिंहासन नहीं चाहिए
उसको फांसी दे दो।
वह कहता है अब वह सबके साथ चलेगा
वह शोषण पर टिकी व्यवस्था को बदलेगा
किसी विदेशी ताकत से वह मिला हुआ है
उसकी इस ग़द्दारी का फल तुरत मिलेगा
आओ देशभक्त जल्लादो
पूंजी के विश्वस्त पियादो
उसको फांसी दे दो
वह शोषण पर टिकी व्यवस्था को बदलेगा
किसी विदेशी ताकत से वह मिला हुआ है
उसकी इस ग़द्दारी का फल तुरत मिलेगा
आओ देशभक्त जल्लादो
पूंजी के विश्वस्त पियादो
उसको फांसी दे दो
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