Sunday, January 22, 2017

गोरख पाण्डेय

" ये आँखें हैं तुम्हारी 
तकलीफ का उमड़ता हुआ समुन्दर 
इस दुनिया को 
जितनी जल्दी हो 
बदल देना चाहिए." ~ गोरख पाण्डेय

No comments: