Sunday, January 22, 2017

इस लॉक्डडाउन में


इस लॉक्डडाउन में,
अकेला नही हूँ मैं।
मेरे पास किताबे है,
वे किताबें बातें करती हैं 
किताबें कुछ कहना चाहती हैं
अक्सर अच्छी बाते कहना चाहती है
वे सब कुछ शेयर करना चाहती है
जो उसके दिल में है
लेकिन उसमे एक बुराई भी है
आप उनके साथ कुछ भी शेयर नहीं कर पाते
जो आपके दिल में है
किताबे जरुरी है
लेकिन वे काफी नहीं है
आपको पूर्ण मनुष्य बनने के लिए
उसके लिए हाड मांस का पुतला
जीवन के आशा से भरा हुआ
अन्याय के खिलाफ हुंकार
भरने का हौसला रखने वाले
दिल की दरकार होती है किताबो के साथ
एक क्रन्तिकारी संगठन की दरकार होती है
किताबो के साथ
जहाँ ऐसे हौसला रखने वाले लोग होते है
जिनके पास एक धड़कता दिल होता है
और आप भी शेयर कर सकते है
अपनी दिल की बात ``````उनके साथ``।


एम के आजाद

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