कविता
अंत में
अंत में
हमें पैदा नहीं होना था
हमें लड़ना नहीं था
हमें तो हेमकुंट पर बैठकर
भक्ति करनी थी
लेकिन जब सतलुज के पानी से भाप उठी
जब काजी नजरुल इसलाम की जबान रुकी
जब लडकों के पास देखा 'जेम्स बांड
तो मै कह उठा,
चल भाई संत (संधू)
नीचे धरती पर चलें
पापों का बोझ बढ़ता जाता है
और अब हम आए हैं
हमारे हिस्से की कटार हमें दे दो
हमारा पेट हाजिर है
हमें लड़ना नहीं था
हमें तो हेमकुंट पर बैठकर
भक्ति करनी थी
लेकिन जब सतलुज के पानी से भाप उठी
जब काजी नजरुल इसलाम की जबान रुकी
जब लडकों के पास देखा 'जेम्स बांड
तो मै कह उठा,
चल भाई संत (संधू)
नीचे धरती पर चलें
पापों का बोझ बढ़ता जाता है
और अब हम आए हैं
हमारे हिस्से की कटार हमें दे दो
हमारा पेट हाजिर है
अवतार सिंह पाश
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